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मुरैना में निर्माणाधीन भाजपा कार्यालय का निरीक्षण

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उपमुख्यमंत्री द्वारा गई धमकी के खिलाफ एवं रीवा के निकाले गए कर्मचारियों की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन शुरू 40 से अधिक जिलों में सभी विभागों के आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी काली पट्टी बांधकर जता रहे विरोध

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Tuesday, November 26, 2024

 उपमुख्यमंत्री द्वारा गई धमकी के खिलाफ एवं रीवा के निकाले गए कर्मचारियों की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन शुरू


40 से अधिक जिलों में सभी विभागों के आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी काली पट्टी बांधकर जता रहे विरोध

भोपाल। ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के आव्हान पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्लाजी द्वारा रीवा मेडीकल के आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ की गई बदजुवानी के खिलाफ एवं रीवा मेडीकल से निकाले गए कर्मचारियों की बहाली की मांग को लेकर सुबह से ही कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर काम कराने का आंदोलन प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में एक साथ शुरू हुआ। छिंदवाड़ा के मेडीकल में शबनम अली, अस्पताल में शरद पंत की अगुआई में आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा शामिल हुए। रीवा में विपिन पांडे, शिवेंद्र पांडे के नेतृत्व में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया। भोपाल मेडीकल में मोहन सगर, रज्जूमल की अगुआई में बडी संख्या में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर आंदोलन का समर्थन किया। भोपाल में ही बल्लब भवन, विकास भवन, डीपीआई, सतपुडा, विंध्यांचल में दीपक सिंह, राम द्विवेदी, आशीष सिंह, प्रकाश पुंज के नेतृत्व में काली पट्टी बांधकर रीवा के कर्मचारियों के साथ एकजुटता अभियान चलाया गया। विदिशा में राजेंद्र शर्मा, बैतूल में अनीता पाल, खण्डवा में अक्षय यादव, दतिया में बृजेश समाधिया, मुरैना में हर्ष शर्मा, सतना में डा अमित सिंह के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री के बयान के विरोध में शुरू हुए आंदोलन में काली पट्टी बांधकर भागीदारी की गई।


प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में प्रदेशभर में शुरू हुए आंदोलन में हजारों आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी स्वत: शामिल हो रहे हैं। निगम मंडल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल वाजपेई,  पंचायत चौकीदार संघ के अध्यक्ष राजभान रावत, अंशकालीन कर्मचारी संघ के उमाशंकर पाठक ने भी आंदोलन का समर्थन करते हुए पंचायतों एवं स्कूलों छात्रावासों के कर्मचारियों से काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराने का आव्हान करते हुए 1 दिसंबर को रीवा पहुंचने की घोषणा की है।


 वासुदेव शर्मा ने बताया कि संगठन के पदाधिकारी एवं कमेटी सदस्य अपने अपने जिलों में काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज कराने का अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत जगदीश परमार अलीराजपुर, जगदीश मांझी बडवानी, मंजीत गोस्वामी खरगोन, रोहित लोधी  निर्वाचन विभाग में, विक्रम सिंह एवं अजय सिंह डायल-100 के आउटसोर्स कर्मचारियों के बीच, लल्लन शुक्ला इंदौर में आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के बीच पहुंचकर उन्हें आंदोलन में शामिल करने का अभियान चला रहे हैं।

  आउटसोर्स मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि उपमुख्यमंत्री के बयान से कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, रीवा के पांच कर्मचारियों की बर्खास्तगी ने आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के गुस्से को कई गुना बढा दिया है जो काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराने के अभियान में दिखाई दिया, कर्मचारी स्वत: आंदोलन से जुड रहे हैं और सोशल मीडिया पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए फोटू डाल रहे हैं।


मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि दिवाली से पूर्व वेतन एवं बोनस देने का आदेश सरकार का था, जिस पर आउटसोर्स कंपनियों ने अमल नहीं किया, वेतन और बोनस की मांग को लेकर रीवा में आंदोलन हुआ, एजाईल कंपनी की मनमानी के कारण बात बिगड़ी और उसने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्लाजी को भी गुमराह किया और मंत्रीजी ने कर्मचारियों की बात सुने बिना कंपनी के कहे अनुसार बयान दे दिया, जिसका नतीजा है कि आज प्रदेश के लाखों आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी आंदोलन के रास्ते पर चल पडे हैं, शर्मा ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्लाजी से निकाले गए कर्मचारियों की सेवा बहाल कराने एवं कंपनी प्रबंधन की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की हैं, काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराने का अभियान 27 नवंबर को भी जारी रहेगा।

भवदीय

अनिल वाजपेई

संरक्षक

आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा, मप्र।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी जी की पत्रकार वार्ता -- किसानों का खाद के संकट का वार-सरकार सात समुंदर पार: जीतू पटवारी

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 मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी, भोपाल

प्रदेश  कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी जी की पत्रकार वार्ता 

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किसानों का  खाद के संकट का वार-सरकार सात समुंदर पार: जीतू पटवारी 


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भोपाल, 26 नवम्बर 2024


मध्यप्रदेश   कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये बताया है कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें  देश   की खेती-किसानी पर गहरा आघात कर रही है। एक तरफ किसानों को पर्याप्त समर्थन मूल्य नहीं दिया जाता, दूसरी ओर उन्हें समय पर खाद उपलब्ध नहीं कराया जाता। साथ ही खेती की लागत इतनी बढ़ा दी गई है कि किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। 


मध्य प्रदेश   के किसान कई-कई दिनों तक खाद लेने के लिए कतारों में खड़े हैं। भाजपाई सत्ता की बर्बरता के चलते पुलिस की लाठियां खा रहे हैं और मध्य प्रदेष के मुख्यमंत्री इसका संज्ञान लेने की अपेक्षा सात समुंदर पार सत्ता का लुफ्त उठा रहे हैं।     


मध्य प्रदेश  में रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर, सरसों, गन्ना, अलसी इत्यादि प्रमुख फसलें उत्पादित की जाती है। 


डीएपी खाद का संकट गहराया: मध्य प्रदेश  और देश   में डीएपी खाद का गहरा संकट है। प्रदेश   में रबी सीजन में भारत सरकार द्वारा 8 लाख मेट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराने की सहमति प्रदान की थी। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि 20 नवंबर 2024 तक मात्र   4.57 लाख मेट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराई गई और अब तक प्रदेश    में मात्र 2.91 लाख मेट्रिक टन डीएपी का विक्रय किया गया।

डीएपी और काम्पलेक्स खाद सिर्फ बोवनी के समय ही प्रयुक्त किया जाता है। अभी अक्टूबर-नवम्बर माह बोवनी का चरम समय होता है, मगर भारत सरकार द्वारा डीएपी उपलब्ध कराये जाने के आष्वासन का आधा खाद भी उपलब्ध नहीं है। 

दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जहां प्रदेष में यूरिया की आवष्यकता 20 लाख मेट्रिक टन की है। वहां उपलब्धता 12.70 लाख मेट्रिक टन मात्र की है और 20 नवंबर 2024 तक इसका विक्रय 7.69 लाख मेट्रिक टन मात्र किया गया है। यूरिया को रबी सीजन में कम से कम तीन बार प्रयुक्त किया जाता है। एक बोवनी के वक्त, दूसरे और तीसरी बार बोवनी के बाद। अर्थात नीचे दिये गये चार्ट से यह स्पष्ट है कि केंद्र और प्रदेश   की भाजपा सरकारों ने खेती को और किसानों की आमदनी को गहरे संकट में डाल दिया है।   

  

 

मध्यप्रदेष में रबी सीजन 2024-25 में उर्वरक संकट

 

(मात्रा लाख मेट्रिक टन में)

उर्वरक रबी 2023-24 में विक्रय भारत सरकार

 द्वारा दी 

गई सहमति 20 नवंबर 

2024 तक

उपलब्धता विक्रय

यूरिया 18.82 20 12.70 7.69

डीएपी 6.93 8 4.57 2.91

एनपीके 3.43 6 4.58 3.41

डीएपी$एनपीके 10.36 14 9.15 6.32

एसएसपी 4.23 6.50 7.31 3.49

एमओपी 0.34 0.60 0.79 0.30

योग 33.75 41.10 29.95 17.80


किसानों पर मोदी सरकार का वार-खाद की सब्सिडी तार-तार:- 

1. खाद की सब्सिडी में कटौती - ‘खाद की सब्सिडी’ में 87,238 करोड़ रू. की कटौती व ‘न्यूट्रिएंट सब्सिडी’ में 41,122  करोड़ रू. की कटौती।


(i) तीन कृषि विरोधी काले कानूनों के विरोध में पैदा हुए किसान आंदोलन के एवज में भाजपा की बदला लेने की मंशा के चलते पिछले 2 साल में ही खाद की सब्सिडी में भयंकर कटौती की गई। 


साल   खाद पर सब्सिडी

2022-23 2,51,340 करोड़ रू.

2023-24 (Revised) 1,88,902 करोड़ रू.

2024-25 1,64,102 करोड़ रू.


यानी 2 साल में सब्सिडी काटी = 87,238 करोड़ रू. 


(ii) ‘न्यूट्रिएंट सब्सिडी (DAP/NPK/MOP)’ भी काट दी गई।


साल न्यूट्रिएंट सब्सिडी

2022-23 86,122 करोड़ रू.

2023-24 60,300 करोड़ रू.

2024-25 45,000 करोड़ रू.


यानी 2 साल में ‘‘न्यूट्रिएंट सब्सिडी’’ काटी = 41,122 करोड़ रू.।

2. साल 2024-25 में DAP के स्टॉक में 14 लाख टन की कमी।

01 अक्टूबर, 2023 को DAP का स्टॉक था = 30 लाख टन।

01 अक्टूबर 2024 को DAP का स्टॉक था =  16 लाख टन।

यानी रबी 2024 की शुरुआत में क्।च् का स्टॉक 14 लाख टन कम था। इसकी पूरी जानकारी भारत सरकार को थी। पर इसके बावजूद भी अगस्त-सितंबर में क्।च् आयात कर यह स्टॉक पूरा नहीं किया गया। किसान विरोधी षडयंत्र साफ है।

मध्यप्रदेश    के सोयाबीन किसानों से सौतेला व्यवहार:

श्री पटवारी ने सोयाबीन की फसल लगाने वाले किसानों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर एक बड़ा खुलासा करते हुये बताया कि मध्यप्रदेश    में लगभग 52 लाख हेक्टेयर भूमि में सोयाबीन की बुवाई हुई है और 55 से 60 लाख टन मध्यप्रदेष में सोयाबीन उत्पादित हुआ है। सोयाबीन किसानों को फसलों के दाम लागत मूल्य जितने भी नहीं पा रहे थे। जिसके चलते देश    के कृषि मंत्री और प्रदेश  के तत्कालीन मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चौहान ने प्राईस सपोर्ट स्कीम पर सोयाबीन को समर्थन मूल्य 4892 रूपये प्रति क्विंटल खरीदने का किसानों को आष्वासन दिया था। एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार ने खरीफ 2024-25 सीजन के लिए 10 सितम्बर 2024 को 27.34 लाख मेट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का अनुरोध किया था। मगर प्रदेश   के साथ सौतेला व्यवहार करते हुये मात्र 13,68,045 मेट्रिक टन सोयाबीन खरीदने की अनुमति ही केंद्र द्वारा प्रदान की गई। उसमें से भी 21 नवंबर 2024 तक मात्र 56768.85 मेट्रिक टन सोयाबीन 25 अक्टूबर 2024 से खरीदा गया। 

प्रदेश    के प्रधानमंत्री महाराष्ट्र की चुनावी सभाओं में यह कह चुके हैं कि राज्य में सरकार बनने के बाद किसानों को सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रूपये दिया जायेगा, तो फिर मध्य प्रदेश  के किसानों के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों। 

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